Tuesday, March 18, 2008

नानी के पिटारा स

एक मच्छर के तीन टा कनिया, सब स बेसी मान दान बड़की कनिया के रहै, ताहि स कने कम मझली के दुलार। मगर छोटकी के ओ कनिको नहि मानै। एक बेर मच्छर शिकार पर निकललाह। बड देरि भेला पर बड़की चिंतित भ कहली -
सोन सन मुंह, चानन सन टीका कखन औथिन हे...
मझली कनिया ढांढस देलखिन -
सोनित(खून) पीने, भार लदौने आबति हेथिन हे...
छोटकी मुंह बिचका कहलखिन-
ईंह.... चुट कटथिन, चाट मारतैन, दांत निपोरि क पड़ल हेथिन हे...